‘तथा’ छप कर आ गयी है। हम जानते हैं कि हिंदी में समझदारी वाली पत्रिकाओं के लिए कोई बाजार नहीं है। वह आदमी की साझा कोशिशों से वितरित होती हैं, पढ़ी जाती हैं। हमने कोशिश की है कि सभी शहरों के महत्वपूर्ण बुक स्टॉल्स पर ‘तथा’ आपको मिल जाए। फिर भी हम ‘तथा’ की उपलब्धता को लेकर पूरी तरह आश्वस्त नहीं हैं। हमने आपको बताया था कि ‘तथा’ में क्या है। एक बार फिर हम उसकी याद आपको दिलाते हैं।
आप पत्रिका मंगाने के लिए tatha.themagazine@gmail.com पर गुज़ारिशी मेल भी कर सकते हैं और संपर्क के पते पर ‘तथा’ के नाम से मनीऑर्डर या बैंकड्राफ्ट से राशि भेज सकते हैं। यदि चेक द्वारा राशि भेजते हैं, तो बैंक कमीशन अतिरिक्त जोड़ कर भेजें।
‘तथा’ के कुछ डीटेल्स और हैं, जो आपको ‘तथा’ तक पहुंचने में मदद कर सकते हैं।
शुक्रिया।